नये साल की मस्ती में डूबा, मित्र-मंडली के साथ मस्ती भरी पार्टी के बाद, आधी रात के बाद, जब नये साल की बधाईयां भेजने के लिए नेट खोला तो सबसे पहले तो सभी एग्रीगेटर देखने की आदत से बाज न आ सका। नज़र जब ब्लॉगवाणी पर गयी तो चकरा गया। यह बात रही होगी करीब एक बज़े की। आगे -पीछे तो देख नहीं पाया, लेकिन जो कुछ देख पाया वह आप खुद ही देख लीजिए।
ब्लॉगवाणी पर पोस्ट प्रकट हुयी। पढ़ा किसी ने नहीं और पसंद करने वाले की संख्या भी दर्ज़ हो गयी!!
क्या उन ब्लॉगरों ने खुद ही क्लिक मार दिए पसंद पर या फिर ब्लॉगवाणी की गड़बड़ है?
लेकिन नहीं, ब्लॉगवाणी तो तुरंत अपडेट ले लेता है।
फिर यह माज़रा क्या है? कोई ज्ञानी बता पायेगा?
आखिर मैं ठहरा मूरख!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
12 comments:
बहुत सही पकड़ा है गुरु....हम अपनी नजरों में ख़ुद के कद को बड़ा करने के मोह से नहीं छूट पाते...ये उसी का परिणाम है लेकिन बिना एक भी बार पोस्ट खोले ३ पसंद का दर्ज होना सोचनीय प्रश्न है..
नव वर्ष की शुभकामनाये,
नीरज
its very easy
the method is
click on meri pasand
when that is updated
close the net connection
again opne the net connection
again click on the meri pasand
एक पसंद तो वैध समझी जाएगी, खुद को पसंद करना सुरुचिपूर्ण हो न हो तकनीकी तौर पर वैध है। पढ़ा तो खुद को हुआ ही होगा इसलिए बिनस पढे ही पसंद ठीक है किंतु तीन पसंद ?
नववर्ष की हार्दिक शुभकामना और बधाई . आपका जीवन सुख सम्रद्धि वैभव से परिपूर्ण रहे . उज्जवल भविष्य की कामना के साथ.
महेंद्र मिश्रा
जबलपुर
सही है!! क्या पकड़ है!
maine dec 2007 me aur feb 2008 me is par do post kar chuka hun.. mauka mile to vahan bhi jhank aayen..
ek post ko to padha bas ek hi baar gaya hai magar pasand 6 bar kiya ja chuka hai.. ;)
http://prashant7aug.blogspot.com/2007/12/blog-post_27.html
http://prashant7aug.blogspot.com/2008/02/blog-post_07.html
ek post par comment masijeevi ji ka bhi hai.. :)
बाकी, लगता है, मैंने क्लिकयाये हैं? या फिर एक जबलपुर में, दूसरा कानपुर में बच्चा लगा रखा है, हो सकता है उनकी होशियारी हो?
वाकई कहीं ना कहीं तो खामी अवश्य है.
खैर आप चिन्ता छोडिए ओर नववर्ष की शुभकामनाऎं स्वीकार कीजिए.
नया साल आपके जीवन में नई खुशियां लेकर आऎ
खूब लिखें,अच्छा लिखें
क्या खूब पकड़ा है आपने मतलब तो ये हुआ कि या तो लोग बिना पढ़े ही पसंद कर लेते हैं या कुछ और जुगाड़ है वैसे बिना क्लिक के ३ पसंद तो मजेदार है ये वाला तरीका हम भी जानना चाहेंगे
अगर किसी को हमारी पोस्ट से अधिक
फोटो ही पसंद आ जाती है तो फिर
क्लिक करने में दोष कैसा ?
वैसे भी फोटो की पसंद दिखला रहा है
इसमें दोष कैसा ?
जब 25 बार पढ़ा जाता है और
पसंद नहीं किया जाता एक बार
तब तो किसी ने नहीं की आपत्ति
।
हमारी तो फोटो ही भा जाती है
उनकी पोस्ट पढ़ी जाती है
फिर भी पसंद नहीं की जाती।
वैसे इस पर कोई जांच आयोग
बिठला रहे हैं या योजना है तो
हम तीनों को जांच आयोग में
अवश्य शामिल करना होगा
तभी दूध का पानी और
पानी का दूध होगा।
कई बार क्या होता है कि हमारे पास समय का नितांत अभाव होता है।तब हम अपने पसन्दीदा ब्लागरों की पोस्ट को बिना पढे ही उन पर..."ऊँ पसन्दीदाय नम:" का ठप्पा लगा देते हैँ। वैसे अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने वालों की संख्या भी कम नहीं है....क्यों है कि नहीं?
होता है भाई साहब,ऐसे बहुत से लोग हैं जो पढ़ तो लेते हैं पर टिप्पणी नहीं देते। पढ़ना और पसंद करना कोई गुनाह थोड़े है! मै भी कई बार ऐसा करता हूं और पसंद आ गयी तो एक चटका भी लगा दिया।
सुशील
Post a Comment