थोड़ी तहकीकत की तो पता लगा एक और स्थान पर भी वही लेख शब्दश: डाल दिया गया है, अपने नाम के साथ, बिना सौजन्यता के, बिना उल्लेख के!
यकीन नहीं होता? देखिये चित्र उस ब्लॉग का जिसका नाम ही है इसको देखो 24 मार्च को
दूसरा ब्लॉग है, जिसका नाम है हिन्दुस्तान का दर्द 21 फरवरी को
अब देखिये मूल लेख 9 जनवरी को
अब कहना पड़ेगा जोश देखो या इसको देखो ये है हिन्दुस्तान का दर्द
5 comments:
यही बिड़ंबना है आखिर क्या किया जा सकता है ?
सौजन्य तो उसके प्रति होनी चाहिए
जो पोस्ट लगाकर फिर सो गया है
आखिर यह चुराकर ही सही इसका
प्रचार तो कर रहा है वो भी फ्री में।
कैसे कर सकते हैं लोग यह ?
यही तो है हिंदुस्तान का दर्द कि चोर और साहूम एक ही घाट पर पानी पीते रहते हैं:)
मैं इतने दिनो तक एक ही शहर में रहकर आपके ब्लाग से अपरिचित रहा । आपके ब्लागिया शीर्षक की भांति मैं मूरख, तुम ज्ञानी ......
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