honesty project real democracy के नाम से आने वाले ब्लाग चलाने वाले जय कुमार झा ने वर्धा के बारे में 3 पोस्तें लिखी और तीनों में बडी honesty से सारा हाल लिख दिया।
पहली पोस्त थी "ब्लोगिंग का उपयोग सामाजिक सरोकार तथा मानवीय मूल्यों को सार्थकता क़ी ओर ले जाने के लिए किये जाने क़ी संभावनाएं बढ़ गयी है।" जिसमें वर्धा संगोष्ठी के विषयों को छोड वे कहते पाये गये कि इस राष्ट्रिय ब्लोगर संगोष्ठी के बाद ब्लोगिंग क़ी सामाजिक सरोकार से जुड़ने तथा मानवीय मूल्यों के उत्थान के लिए प्रयोग करने क़ी संभावनाएं प्रबल हो गयी है| एक बार जब आचार संहिता बात की भी तो फिर उनकी गाडी पतरी से उतर गई।
दूसरी पोस्त आई "वर्धा ब्लोगर संगोष्ठी के पर्दे के पीछे के असल हीरो" जिसमें ब्लोगर कार्यशाला और संगोष्ठी में परदे के पीछे के महत्वपूर्ण योगदान करने वालों के नाम व काम गिनाये गये। और अपना ही विषय ले कर एक विशेष कक्षा क़ी भी व्यवस्था करवा ली।
सरकारी पैसों से अपना उल्लू सीधा करना, भले ही वह कितना ही प्रशंसनीय क्यों न हो, कितना सही है यह तो ईमानदारी का पाठ करने वाले जय कुमार झा ही बता पायेंगे। इस तरह का धन्यवाद ज्ञापन आयोजनकर्तायों का कार्य होता है, किसी भुगतान पाये विशेषज्ञ का नहीं।
तीसरी पोस्त आई "वर्धा संगोष्ठी और कुछ अभूतपूर्व अनुभव व मुलाकातें" जिसमे जूते-चप्पल को खुद अपने हाथ से उठाकर नीयत जगह रखते एक उद्योगपति को देख उनका मन कृतज्ञता से भर गया और मनमोहन सिंह जी,राहुल गांधी तथा सोनिया गांधी जी को इसका पाठ पढ़ने की नसीहत दे बैठे।अब इनको कोई बताये कि जैसा देस वैसा भेस होता है।बडे बडे मशहूर लोग स्वर्ण मन्दिर में लोगों के जूठे बरतन धोते देखे जाते है,जूते साफ करते दिखते है,झाडू लगाते है लेकिन अपने आफिस मे वह काम नही करते
इन्हे महत्वपूर्ण बात यह लगी क़ी ब्लोगरों को पहली बार ब्लोगिंग पर व्याख्यान या आलेख प्रस्तुत करने पर किसी केन्द्रीय विश्वविध्यालय के कुलपति के हाथ से प्रमाण-पत्र दिया गया| अब मुख्य अतिथि प्रमाण्पत्र नहीं देगा तो वह काहे का मुख्य अतिथि। इसे ब्लोगिंग के इतिहास में सम्मान के साथ सदा याद किया जाता रहने की बात तो कह गये लेकिन बता यह भी नही सके कि वह व्याख्यान या आलेख कहां मिल सकते हैं
इसके अलावा आश्रमों के विवरण तो दे दिये लेकिन वर्धा में आचार संहिता या ब्लाग तकनीक के बारे में खुद के किसी योगदान को नहीं बता सके। यह हाल था समाज में परिवर्तन लाने का झंडा उठाये सरकारी पैसों से वर्धा आने-जाने वाले व्यक्ति का
सभी ब्लॉगरों के नाम के आगे पीछे श्री/ सुश्री व जी लगा हुआ समझा जाये।
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21 comments:
कुलपति यानि विभूति नारायण राय ना ?
यूं कि हमको जादा बात करने की आदत तो है नहिं फिर भी कुछ बात फिर से कहे देते हैं
वर्धा संगोष्ठी के विषयों को छोड काहे ये अपना अजेंडा ले के क्लास ले लिये
धन्यवाद ज्ञापन के लिये इन्को पैसा दिया गया का?
ईमानदारी का पाठ ई जय कुमार झा ही पडाता है ना?
ई का घर वाला इनका बात नाही सुनत ाहै ई ब्लागिन्ग मे कऊन सुनेगा?
मनमोहन सिंह जी,राहुल गांधी तथा सोनिया गांधी जी को बोलता है ई मनवा,कभै खुद जूता चप्पल उठा कर दिखाये
ई छिनाल वाला सरटिफिकेत दिया तो खुस हो गया।कहां है इनका समाज निर्मान?
ई खुदै कऊन सा पेपर दिया ऊहां पर?
ई तो बोलता था कि कुछ भ्रष्ट मंत्रियों के नाम देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों को इ.मेल से भेजा है और अगर इनपर कार्यवाही नहीं हुयी तो 08/09/2010 को मैं अपनी जीवन लीला समाप्त कर लूँगा |
ई तो बोलता था कि कुछ भ्रष्ट मंत्रियों के नाम देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों को इ.मेल से भेजा है और अगर इनपर कार्यवाही नहीं हुयी तो 08/09/2010 को मैं अपनी जीवन लीला समाप्त कर लूँगा |
अऊर कहता था कि मेरे इस नेक काम में मेरा हौसला बढ़ाने का प्रयास करें और हो सके तो अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर मुझ जैसा ही कदम उठायें |
खुद तो सरकारी पैसा का दुर्प्योग किया लेकिन बोलता हि कि कम से कम प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को कुछ ईमानदारी भरा करने की प्रेरणा मिले |
सबको बोलता है कि लूटा जा रहा पैसा इनका नहीं है बल्कि उस गरीब का भी है जो एक माचिस की खरीद पर पाँच पैसे के टेक्स के रूप में सरकारी खजाने को देता है|
और खुदै उही टैक्स का पईसा से वर्धा में मतरगस्ती करता है
कहता है मैं एक बेहद इमानदार और अपने इंसान होने के सभी कर्तव्यों को अपने जान की परवाह किये वगैर निर्वाह करने वाला व्यक्ति हूँ
लेकिन बडि बेसर्मी से वर्धा मे अपने काम के बारे मे कुछ नाही बोलता
कहता है अगर मेरे आरोप इनकी ब्रेनमेपिंग और लाई डिटेक्टर टेस्ट झूठा साबित हो तो मुझे सरेआम फांसी पर चढ़ा दिया जाय |
इन्का टेस्ट होगा तो?
अब ई आदमी कहता है कि मैं सामाजिक आंदोलनों और पारदर्शिता के लिए लड़ाई तथा भ्रष्टाचार के खिलाप लड़ाई के सभी आंदोलनों से जुड़ा हुआ हूँ तथा मेरी हार्दिक इक्षा है की सामाजिक जाँच हर सरकारी खर्चों और घोटालों के जाँच के लिए आवश्यक हो |
तो काहे नहीं वर्धा के कार्यक्रम की जांच करने को बोलता है?
ई सपथपत्र भी दिया था कि मैं आप सभी ब्लोगरों से बताना चाहूँगा की अगर राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा भी कुछ नहीं किया जाता है भ्रष्टाचार और कुव्यवस्था को रोकने के लिए तो मुझे जीने की कोई इक्षा नहीं रह जाएगी और 08/09 /2010 को भ्रष्टाचार के खिलाप मेरी मौत का जिम्मेवार इन तीनो पदों पर बैठे व्यक्ति ही होंगे |
लेकिन देखे लो कुछ नाही हुया औए ये गांधी बाबा के आश्र्म को देख फोटुआ खिचा आये
कहान ई मनवा इस गंदे माहौल से बहुत दूर ले जाने की सोच रहा था अऊर कहां सरकारी पैसों से मौज उडाने आ गया
जईसा कि ई खुदै लिखे रहे
अब देखना है की इनका जमीर जगता है कि नाही
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