28 December, 2008

चन्द्रयान के अलावा भिलाई का एक और संबंध चन्द्रमा से, जो छुपाया गया

भिलाई के युवक द्वारा चंद्रयान डिजाइन करने की ख़बर तो आपको मेरे शहर से सटे भिलाई के ब्लॉगर बी एस पाबला जी ने दे ही दी है। अभी अभी जब ख़बर देखी कि चंद्रयान ने चांद की सतह पर प्रचूर मात्रा में लौह अयस्क की मौजूदगी का पता लगाया है। यह लौह अयस्क चांद के पूर्वी बेसिन के पश्चिमी भाग में मौजूद है तो मुझे पाबला जी की याद फिर हो आयी। उनहोंने एक जानकारी आपसे छिपायी है कि उनके पुत्र के नाम पर चन्द्रमा पर कथित रूप से प्लाट है। जिसे हम आप जायदाद कह सकते हैं। अब लोग चाहे कुछ भी कहें, पूर्व भारतीय राष्ट्रपति अब्दुल कलाम, दो भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति, नासा के अनेकों वैज्ञानिक, हौलीवुड के कई सितारे जब चन्द्रमा पर जमीन खरीद कर बैठे हों, तो पाबला जी के सुपुत्र ने कौन सा बेवकूफी वाला कार्य किया है, जो वह छिपा रहे हैं। विवरण यहाँ देखा जा सकता है और एक समाचार पात्र कि ख़बर यहाँ देखी जा सकती है।

इसकी याद आने की एक और वजह यह भी है कि जमीन के कागजातों में यहाँ लिखा गया है कि चन्द्रमा की सतह के नीचे 4 किलोमीटर व ऊपर 10 किलोमीटर तक पाये जाने वाले ठोस, द्रव, गैस पर उस जमीन के मालिक का हक़ होगा!

तो उनको बधाई देना मत भूलियेगा।

20 December, 2008

ज्ञानदत्त जी की पत्नी पिटाई पोस्ट और महिला ब्लॉगर्स के बहाने

एक व्यवसायिक यात्रा से अभी-अभी लौटा हूँ और अपनी एक मासूम शरारत भरी टिप्पणी पर अनेकों को अपनी दाढ़ी में तिनका ढ़ूढ़ते हुए देख मुस्कुराने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा हूँ। ज्ञानदत्त जी ने तो एक पोस्ट ही बना डाली है, जैसा कि वे लिखते हैं कि जोड़-तोड़ कर पोस्ट बनाई जाती है!

लौटते समय सोच रहा था कि आप लोगों से एक मुद्दे पर अपील करूँगा। सो कर रहा हूँ कि महिला आयोग द्वारा  महिलाओं के लिए कृषि क्षेत्र में राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है, जिसके लिये kusummishra@nic.in पर सुझाव मांगे गये हैं। आप से, खास तौर पर महिला ब्लॉगर्स से,महिला समर्थकों से, अपील है सुझाव अवश्य दें। इस पर मुद्दे पर आपकी टिप्पणी भी मायने रखती है।

ज्ञानदत्त जी की नयी-पुरानी पोस्ट के बारे में फुर्सत पाते ही कुछ लिखने की कोशिश करूँगा।

03 December, 2008

लीजिये दाउद का पता, ठिकाना, पासपोर्ट नम्बर आदि

मैं मूरख एक बार फिर इंटरनेट की दुनिया में भटकते हुए जा पहुंचा ऎसी जगह जिसके नाम से ही अपराधियों, नागरिकों के कान, रोंगटे और ना जाने क्या क्या खड़ा हो जाता है, कहाँ कहाँ पसीना आने लगता है। इस जगह पर दाउद के बारे में वह सभी जानकारियाँ सहज उपलब्ध हैं जिन्हें सीमापार वाले नकारते रहे है। जब एक सर्वमान्य अंतर्राष्ट्रीय पुलिस संगठन सारे सबूत दे रहा है तो सिर्फ भारत के देने ना देने से क्या फर्क पङता है?

वो जगह है इंटरपोल आप जाना चाहें तो सीधे क्लिक कर इस जगह जाकर सारी जानकारी ले सकते हैं। अगर कोई डर/ फिशिंग/ फ्रॉड नज़र आ रहा हो तो गूगल में सर्च करें interpol , पहले ही लिंक में मिल जायेगा। आगे बढें Fugitives > Notices > Interpol - United Nations special Notices में आपको ढेरों अपराधी मिलेंगे। इन्हीं में है कासकर, दाउद इब्राहिम या शेख, दाउद हसन और उसका पूरा कच्चा चिट्ठा। दिक्कत हो तो मुख्य पृष्ठ पर ऊपर दांयें सर्च का सहारा लें।

वरना सीधे सीधे यहाँ लिंक तो आपको दे ही रहा हूँ।

01 December, 2008

शहीद के पिता ने मुख्यमंत्री, गृह मंत्री से कहा "कुत्तो निकल जाओ यहां से।”

मज़बूरी है, परिवार के साथ बैठा हूँ, इसलिए अपने आपको नियंत्रित कर रखा है,  वरना इतनी गालियाँ देने को मन कर रहा है कि …
 
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मुम्बई में ताज होटल में आतंकवादियों से संघर्ष में शहीद हुए युवा मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के पिता के. उन्नीकृष्णन ने आज केरल के मुख्यमंत्री तथा गृहमंत्री को अपने घर से निकाल दिया और उनसे मिलने से इनकार कर दिया। दुख और गुस्से से बौराए पिता ने पहले तो घर का दरवाजा ही नहीं खोला और आधे घंटे तक मुख्यमंत्री अच्युतानंद और उनके गृहमंत्री अपने सुरक्षा कर्मियों और साथ आए अन्य लोगों के साथ बाहर इंतजार करते रहे। 

जब श्री उन्नीकृष्णन के सब्र का बांध टूट गया तो वे झपटते हुए बाहर आए, उपस्थित पत्रकारों से कहा “चलाओ कैमरा” और फिर सबके सामने दोनों मंत्रियों से भड़कते हुए कहा “कुत्तो निकल जाओ यहां से।” 

मेजर संदीप की शहादत पर केरल सरकार ने अब तक चुप्पी साध रखी थी। यहां तक कि शनिवार को उनके अंतिम संस्कार के समय भी केरल सरकार की ओर से एक शब्द भी शोकस्वरूप नहीं कहा गया था। श्री के. उन्नीकृष्णन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी खबरों में यह भी कहा गया कि उन्होंने यह तक कह डाला कि अगर उनके बेटे की मौत पर राजनीति की गई तो वे आत्महत्या कर लेंगे। 
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घर से बाहर जा रहा हूँ, ऐसी जगह जहाँ जी भर कर अपनी भड़ास निकाल सकूँ।