मैं समझाते रह गया कि जीमेल का खाता कतई ज़रूरी नहीं लेकिन कोई मानने को तैयार ही नहीं था। सभी इलाहाबाद की ताज़ा ताज़ा हुयी ब्लॉगिंग सम्मेलन में कही गयी बातों को पत्थर की लकीर मानते हुये कह रहे थे कि इतने बड़े बड़े पुराने धुरंधर आये हुये थे, वे सब क्या गलत कह रहे हैं या गलत बात का समर्थन कर रहे?
मैं झुंझलाया सा यहीं नेहरू नगर में रूक गया। एक दोस्त के घर उसी के सामने याहू पर एक खाता बनाया और उसी से ब्लॉगस्पॉट पर एक ब्लॉग बनाया। फिर उन सभी को एक एक कर लिंक भेजी उस ब्लॉग की। कुछ ने देख ली, कुछ देख कर आज शाम ग्रैंड ढिल्लों होटल में एक तरल पार्टी का इंतज़ाम कर रहे हैं। आखिर शर्त ही यही लगी थी।
याहू के खाते murakhmail@yahoo.com से ही उस ब्लॉग में लागिन किया जाता है।
प्रोफाईल में भी इस याहू आईडी को देखा जा सकता है देखिये http://www.blogger.com/profile/07855006421064341073
आप आयेंगे उस पार्टी में, मुफ्त की मिलेगी।
जिस बात के विरोध में यह सब हुया उसकी कुछ लिंक और चित्र नीचे हैं, इलाहाबाद सम्मेलन के
उनके लिखे शब्दों को यदि कोई पुरूष लिख देता तो अब तक बवाल खड़ा हो गया होता। क्भी अपने प्रोफाईल पर कथित अपशब्दों का प्रयोग न करने के लिए सावधान करने वाली इन महोदया को स्वयं ऐसे शब्द लिखते देख मैं चकित हूँ। आखिर किसी की बपौती थोड़े ही हैं यह शब्द। शायद ऐसी सोच रखने वाले पुरूषों का एकाधिकार तोड़ा जा रहा है। तभी तो वे आगे लिखतीं हैं 'ऐसी सोच से उबरें'