27 May, 2009

नये ब्लॉग बनाने वालों को वरिष्ठ ब्लॉगर गलत जानकारी क्यों दे रहे?

अक्सर ही मुझे आलोचना झेलनी पड़ती है कि आप अच्छी बातों की ओर ध्यान क्यों नहीं देते। मेरा यह कहना रहा है कि गलत बात या भ्रम में डाले जाने वाली बातों को पचा जाना किसी को पसंद आता होगा मुझे नहीं आता। कई दिनों से अपने आप को रोक रहा था कि कोई विवाद न खड़ा हो जाये लेकिन कल मेरे सब्र का बांध टूट गया जब एक समूह में इक्कठा हुये चंद लोग मुझ पर लट्ठ लेकर पिल पड़े कि ब्लॉग बनाने के लिए जीमेल का खाता ज़रूरी है। हम कितने ईमेल आई डी याद रखें?

मैं समझाते रह गया कि जीमेल का खाता कतई ज़रूरी नहीं लेकिन कोई मानने को तैयार ही नहीं था। सभी इलाहाबाद की ताज़ा ताज़ा हुयी ब्लॉगिंग सम्मेलन में कही गयी बातों को पत्थर की लकीर मानते हुये कह रहे थे कि इतने बड़े बड़े पुराने धुरंधर आये हुये थे, वे सब क्या गलत कह रहे हैं या गलत बात का समर्थन कर रहे?

मैं झुंझलाया सा यहीं नेहरू नगर में रूक गया। एक दोस्त के घर उसी के सामने याहू पर एक खाता बनाया और उसी से ब्लॉगस्पॉट पर एक ब्लॉग बनाया। फिर उन सभी को एक एक कर लिंक भेजी उस ब्लॉग की। कुछ ने देख ली, कुछ देख कर आज शाम ग्रैंड ढिल्लों होटल में एक तरल पार्टी का इंतज़ाम कर रहे हैं। आखिर शर्त ही यही लगी थी।

याहू के खाते murakhmail@yahoo.com से ही उस ब्लॉग में लागिन किया जाता है।
ब्लॉग का नाम है दूसरे मेल आई डी से बना ब्लॉग
ब्लॉग का पता है http://yahoomailid.blogspot.com/
प्रोफाईल में भी इस याहू आईडी को देखा जा सकता है देखिये http://www.blogger.com/profile/07855006421064341073

आप आयेंगे उस पार्टी में, मुफ्त की मिलेगी।



जिस बात के विरोध में यह सब हुया उसकी कुछ लिंक और चित्र नीचे हैं, इलाहाबाद सम्मेलन के

17 May, 2009

ये कहें तो मजाक, वो कहें तो जाहिल: ये है हिन्दी ब्लॉगिंग की देन

बस पाँचेक मिनट पहले ही जब मैंने देखा तो फिर दंग रह गया। एक ब्लॉगर ने दूसरे ब्लॉगर को उन्हीं शब्दों का इस्तेमाल करने पर जाहिल कह दिया, जिन शब्दों का इस्तेमाल करने पर ठिठोली करना कह कर पल्ला छाड़ लिया जाता है।

खुद ही देखिये ठिठोली वाले ब्लॉगर 

इसका जवाब -ठिठोली

खुद ही देखिये जाहिल ब्लॉगर

प्रतिक्रिया - पढ़े लिखे जाहिल

प्रति-प्रतिक्रिया - स्नेह से

ये है हिन्दी ब्लॉगिंग की देन

10 May, 2009

एक महिला ब्लॉगर, औरतों को अपने अंग दिखाकर पैसे कमाने वाली बताती हैं, प्रेरित भी करती हैं

हाल ही में जब मुंबई हमलों में पकड़े गये युवक, कसाब ने जज के सामने एकाएक खुद ही अपनी उम्र 21 वर्ष बतायी और गड़बड़ी का आभास होते ही सिर पकड़ कर बैठ गया तो अपन भी मुस्कुरा दिये थे। सच ही कहा है किसी ने कि दिल की बात कभी ना कभी लबों पर आ ही जाती है।

कल ही जब ब्लॉगवाणी से लिंक पकड़ कर एक ब्लॉग तक पहुँचा तो दंग रह गया। उस महिला ब्लॉगर ने यह लिख मारा था कि …

अब मैं कैसे लिखूँ? मैंने लिख दिया तो वही महिला ब्लॉगर मुझ पर नारी जाति के लिए अपशब्दों का प्रयोग करने की तोहमत लगाते हुए अपनी खास शैली में पता नहीं क्या-क्या लिख देंगीं।

आप खुद ही देख लीजिए ना

उनके लिखे शब्दों को यदि कोई पुरूष लिख देता तो अब तक बवाल खड़ा हो गया होता। क्भी अपने प्रोफाईल पर कथित अपशब्दों का प्रयोग न करने के लिए सावधान करने वाली इन महोदया को स्वयं ऐसे शब्द लिखते देख मैं चकित हूँ। आखिर किसी की बपौती थोड़े ही हैं यह शब्द। शायद ऐसी सोच रखने वाले पुरूषों का एकाधिकार तोड़ा जा रहा है। तभी तो वे आगे लिखतीं हैं 'ऐसी सोच से उबरें'

अपडेट: किन्हीं अज्ञात कारणों से वह पूरी पोस्ट, टिप्पणियों समेत हटा दी गयी है। लेकिन गूगल के कैश में वह मौज़ूद है आप इन दो लिंक्स द्वारा उसे देख सकते हैं।

आपको कुछ कहना है?

08 May, 2009

'उस' हिंदी ब्लॉगर का कथित ब्लॉग, गूगल ने बंद करवाया या सरकार ने?

आखिरकार उस ब्लॉग को बंद होना ही पड़ा जो एक गंभीर संवैधानिक अपराध कर रहा था, जिससे लगभग हर जागरूक ब्लॉगर त्रस्त नज़र आता था। अभी यह जानकारी नहीं मिल पायी है कि इस ब्लॉग को गूगल ने बंद कर दिया या सरकारी कार्यवाही हुयी या फिर गूगल की चेतावनी के बाद स्वयं ब्लॉगर ने ही अपना ब्लॉग ध्वस्त कर दिया। बंद होने के पहले यह ब्लॉग ऐसा दिखता था। ये वही ब्लॉगर हैं जिन्होंने कुछ अरसा पहले राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को अपने ब्लॉग में सबसे नीचे रखने की हेठी दिखा कर एक और संवैधानिक अपराध किया था, जबकि यह अपने आप को उच्च शिक्षा प्राप्त बताते हैं। देखिये लिंक 1    लिंक 2

अनुनाद सिंह जी के अलावा अधिकतर ब्लॉगरों ने इस तरह की चेष्टा के प्रति अपना विरोध जताया था। उन सभी को धन्यवाद व बधाई, एक संवैधानिक अपराध के विरोध का साथ देने के लिए।

इस मामूली सी सफलता से अब इस दिशा की ओर सोचा जा रहा है कि टिप्पणी के रूप में अपने ब्लॉग पर आने का निमंत्रण देने वाले ब्लॉगरों के खिलाफ भी गूगल में शिकायत की जानी शुरू की जाये। भले ही वह निमंत्रण मेरे ब्लॉग पर आये या किसी और के, है तो यह सरासर मानकों के खिलाफ!

वैसे जो इस किस्से की पृष्ठभूमि नहीं जानते वे पिछली पोस्ट पढ़ सकते हैं।

आप क्या सोचते हैं?