हर सफलता का पैमाना अलग होता है,
आज जो वर्धा ब्लॉगर गोष्ठी एवं कार्यशाला को सफल बता रहे है वह उनका नजरिया है। अपन तो यहाँ पोस्तमार्टम के लिए हैं। एक सफल पोस्तमार्टम के लिए। अब पोस्टमार्टम तो पोस्तमार्टम होता है हो सकता है कईयों को बदबू आये या वह यह सब देख ना पाये उनसे बिनती है कि आगे बढने से पहले ही यहाँ से भाग लें।
मैंने पूरा एक हफ़्ता वेट किया इस ब्लॉगर गोष्ठी एवं कार्यशाला पर आने वाली सभी पोस्टों के लिए। आइये देखें पूरी पिक्चर
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जून को सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी के व्यक्तिगत ब्लॉग की एक पोस्ट में बताया गया कि वर्धा वि.
वि.
द्वारा एक नियमित वार्षिक आयोजन बनाने के क्रम में कुलपति जी ने इस वर्ष के आयोजन की हरी झण्डी दिखा एक विज्ञप्ति जारी कर इसकी कमान उन्हें सौंप दी गई है। आप इसे देखिए-
आप पढ़ रहे होंगे कि हिन्दी ब्लॉगिंग को बढ़ावा देने तथा इस माध्यम व प्रवृत्तियों पर विचार विमर्श करने के लिये प्रतिवर्ष एक राष्ट्रीय सेमिनार वर्धा में कराये जाने के निर्णय के साथ इस आयोजन का उद्देश्य हिन्दी ब्लॉगिंग को जनोपयोगी ज्ञान-विज्ञान, स्वस्थ मनोरंजन व उत्कृष्ट साहित्य के संवाहक के रूप में एक सार्थक भूमिका निभाने के लिये तैयार करने व इसके प्रति जनसामान्य में एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने की बात भी है। अब इसका कितना पालन हुया इसे देख ही रहे हैं सभी जागरूक ब्लॉगर्।
इसमें कहा गया है कि विशेषज्ञ ब्लॉगरों द्वारा लेखन के तकनीकी व व्यवहारिक पक्षों की समुचित जानकारी दी जायेगी। आप खुद देख लीजिये कि कितने विशेषज्ञ ब्लॉगर आये या बुलाये गये और क्या जानकारी दी गई।
देश भर से आमंत्रित शीर्षस्थ/ लोकप्रिय ब्लॉगर सम्मेलन होगा। यहाँ यह साफ बता दिया गया है कि आमंत्रित ब्लॉगरर्स का ही सम्मेल्लन होगा और वह भी लोकप्रिय या शीर्ष्स्थ ब्लॉगरों का। जबकि आप देखेंगे कि कई स्वर ऐसे भी आये जो यह कहते हैं कि यह आमंत्रण सबके लिए था या फिर नामांकन आमन्त्रित किए गए थे। ईमेल पर आमंत्रण का इन्तेजार करते बैठे रहने वालों की भी खिल्ली उड़ाई गई।
यह अपेक्षा की गई कि हिन्दी ब्लॉगिंग को सकारात्मक व सार्थक माध्यम कैसे बनाया जा सकता है इस बारे में ठोस सुझाव आयें। लेकिन देखा गया कि लगभग सभी 'आमंत्रित' ब्लॉगरों ने अपने ब्लॉग पर एक-दूसरे के मिलन की कथायें और चित्र डाल कर ही नमस्ते कर ली
यह भी बता दिया गया था कि आने-जाने का किराया व अन्य सुविधायें आमंत्रित ब्लॉगरों को ही मिलेंगी।

अब यह विज्ञप्ति आई एक व्यक्तिगत ब्लॉग पर, हिन्दी विश्वविद्यालय की वेबसाईट http://hindivishwa.org पर नहीं। मैंने गतिविधियाँ,
सूचनापट्ट सेक्शन के अलावा अधिक बारीकी से नहीं देखा है हो सकता है कि किसी कोने में दुबकी पड़ी हो। हो गई आचार संहिता के उलंघन की शुरूआत्।
फिर विश्वविद्यालय की वेबसाईट पर एक सुचना आई कि ईद–
उल-
फित्र की संभावित तारीख से टकराने के कारण ब्लॉगर गोष्ठी की तारीख टालकर नयी तारीख तय कर ली गयी है। अब यह सम्मेलन 9-10
अक्टूबर, 2010
को आयोजित होगा। इधर व्यक्तिगत ब्लॉग पर लिखा गया कि कुलपति जी ने इसे जल्दी से जल्दी कराने के उद्देश्य से चटपट तारीख तय कर दी थी। रमजान के आखिरी दिन देश ईद मुबारक की खुशियों में डूबा रहेगा,
ऐसे में यहाँ ब्लॉगरी का मजमा लगाकर अपनी भद्द पिटवाने का इन्तजाम भला कौन करेगा? अब यह तो राष्ट्रवादी, हिदूवादी ब्लॉगर ही स्पष्ट करेंगे कि मन्नू भाई और महारानी, युवराज पर आये दिन अपना प्रेम उड़ेलने वाले क्या यह बात सही मानते हैं कि सारा देश ईद मुबारक की खुशियों में डुबा रहता है और क्या इसकी परवाह कर इस तरह का आयोजन टाला जाता है? (राष्ट्रवादी, हिन्दूवादी ब्लॉगर का उल्लेख चुटकी लेने के लिये किया गया है। ऐसी चुटकी लेने की प्रेरणा इसी सम्मेलन में शामिल अनूप शुक्ल के एक कथ्य से मिली है)
इसी व्यक्तिगत ब्लॉग पर बताया गया कि इच्छुक अभ्यर्थियों को निर्धारित प्रारूप पर सूचना प्रेषित करते हुए अपना पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण का कार्य सामान्यतः पहले आओ-
पहले पाओ नियम के आधार पर किया जाएगा। निर्धारित संख्या पूरी हो जाने पर पंजीकरण का कार्य कभी भी बन्द किया जा सकता है। यह बात पहले कहीं नहीं की गई, मूल सूचना पत्र में भी नहीं। मतलब यह कि जिनको तकनीक सिखाने जा रहे हैं उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि इस प्रारूप को पहले डाउनलोद करके,
फिर उसका प्रिंट निकाल कर उसमें अपनी जानकारी दें,
फिर उसे स्कैन करके ईमेल से भेज दें या डाक से भेजें। ऊपर से मुसीबत यह भी कि इसे राषट्रीय सम्मेलन कहे जाने के बाद भी इसकी सूचना किसी राष्ट्रीय अखबार में नहीं छपवाई गई। प्रवीण पांडे द्वारा की गई ऑनलाईन फार्म की मांग भी अनसुनी कर दी गई
इसी सूचना में दूसरे दिन देश भर के नामचीन ब्लॉगर्स का सम्मेलन होगा यह बताया गया और इसमें मूल सुचना में नजर आ रहा लोकप्रिय ब्लॉगर्स शब्द हटा दिया गया। अब यह नामचीन ब्लॉगर, लोकप्रिय ब्लॉगर, शीर्षस्थ ब्लॉगर कौन होते हैं यह कौन बताए? कहने वाले तो झूम-झूम के यह भी कहते हैं कि बदनाम हैं तो क्या? नाम तो है। चिट्ठाजगत के टॉप 40 सक्रिय ब्लॉग धारकों की सूची वाले नामचीन नहीं हैं क्या? आप खुद देखिये कि उनमें से कितनों को आमंत्रित किया गया।
यहीं बताया गया कि इच्छुक विद्यार्थी व अन्य नये लोग जो ब्लॉगिंग सीखना चाहते हैं लेकिन इसके तकनीकी पक्ष के बारे में कुछ भी नहीं जानते, अन्तर्जाल की दुनिया से अनभिज्ञ हैं लेकिन कुछ लिखने-पढ़ने का शौक रखते हैं, उन्हें इस कार्यशाला के माध्यम से ब्लॉगिंग संवंधी जरूरी बातें बतायी जाएंगी और प्रायोगिक प्रदर्शन भी किया जाएगा। ऐसे लोगों को अभ्यर्थी की संज्ञा दी गयी है। इस वर्कशॉप में प्रशिक्षण देने के लिए और अगले दिन की विचार गोष्ठी में अपना मत व्यक्त करने के लिए जो अनुभवी ब्लॉगर वि.वि. द्वारा आमंत्रित किए जाएंगे वे हमारे प्रतिभागी कहलाएंगे। आगे देखते हैं कि कितने विद्यार्थी आमंत्रित किये गये और कितने अन्य नये लोग आये।
यहीं कहा गया कि अपने ब्लॉगर मित्रों से इस सम्मेलन के लिए अध्ययन पत्र प्रस्तुत करने हेतु प्रस्ताव मांगे हैं। हमें जो प्रस्ताव प्राप्त होंगे उस आधार पर वि.वि. द्वारा सम्मेलन के प्रतिभागियों का चयन किया जाएगा और आमन्त्रण पत्र भेंजे जाएंगे। बजट की सीमा देखते हुए असीमित संख्या का आह्वाहन नहीं किया जा सकता, इसलिए आमंत्रण की मजबूरी है। निजी व्यय पर आने वालों के लिए कोई मनाही नहीं है। अपने ब्लॉगर मित्रों से? क्यों भई मेरे या किसी और के ब्लॉगर मित्रों से क्यों नहीं? विश्वविद्यालय द्वारा सम्मेलन के प्रतिभागियों के चयन हेतु कोई समिति बनी थी कि नहीं इसका कहीं आता-पता नहीं लगा है। निजी व्यय पर कौन सा ब्लOउगर पहुँचा इसका खुलासा किया जाना अभी बाकी है। हालांकि Sanjeet Tripathi said...koshish karunga ki bataur ek shrota pahuch kar laabh utha sakun
इस बीच इस कार्यक्रम से ठीक एक दिन पहले ही 8 अक्टूबर को एक नया ब्लॉग उभर कर आ गया हिंदी विश्व। इसका माईबाप कौन है पता नहीं लेकिन देखने से आभास होता है कि इसका वर्धा के हिन्दी विश्वविद्यालय से कोई लेना-देना है। मतलब एक सरकारी वेबसाईट के बदले गूगल की मुफ़्तखोरी कर बना हिंदी विश्विद्यालय का यह अनधिकृत चिट्ठा बतायेगा कार्यक्रमों की जानकारी! सरकार का यह स्पष्ट आदेश है कि सरकारी वेबसाईट्स या सुचनायें निजी/ विदेशी सर्वरों पर नहीं होनी चाहिये।
यहाँ बताया गया कि इस संगोष्ठी व कार्यशाला में भाग लेने वाले हिन्दी ब्लॉगर्ज़ में विशिष्ट नाम हैं -
हैदराबाद से प्रो. ऋषभदेव शर्मा,
कलकत्ता से डॉ. प्रियंकर पालीवाल,
लंदन से डॉ. कविता वाचक्नवी,
उदयपुर से डॉ. (श्रीमती) अजित गुप्ता,
अहमदाबाद से श्री संजय बेंगाणी,
कानपुर से श्री अनूप शुक्ल,
उज्जैन से श्री सुरेश चिपलूनकर,
लखनऊ से श्री रवीन्द्र प्रभात, जाकिर अली रजनीश,
बंगलौर से श्री प्रवीण पाण्डेय,
दिल्ली से श्री अविनाश वाचस्पति, श्री यशवंत सिंह, श्री हर्षवर्धन त्रिपाठी, श्री जय कुमार झा, श्री शैलेश भारतवासी, श्री इष्टदेव सांकृत्यायन,
रीवा से सुश्री वंदना अवस्थी दुबे,
मुंबई से सुश्री अनिता कुमार,
वर्धा से श्रीमती रचना त्रिपाठी,
मेरठ से श्री अशोक कुमार मिश्र,
रायपुर से श्री संजीत त्रिपाठी, डॉ. महेश सिन्हा,
पानीपत से श्री विवेक सिंह,
और इंदौर से सुश्री गायत्री शर्मा।
संगोष्ठी के संयोजक श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी स्वयं हिंदी के स्थापित ब्लॉगर है.
व्यक्तिगत रूप में अनूप शुक्ल और सुरेश चिपलूनकर को छोड़कर कोई भी चिट्ठाजगत की टॉप 40 सक्रिय ब्लओ?गरों की सूची में नहीं है।
अब आगे बढ़ा जाये। 9 अक्टूबर को ग्राफ़िक्स डिजाईनर का कोर्स किये हुये हैडर बनाने के उस्ताद ललित शर्मा की पोस्ट आई http://lalitdotcom.blogspot.com/2010/10/blog-post_09.html कि डेढ वर्षों से ब्लागिंग कर रहे हैं, सैकड़ों ब्लागर मित्रों से मिले हजारों के ब्लॉग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। लगता है कि इतने दिनों में भी ब्लॉगर होने की अहर्ताएं पूरी नहीं कर पाए हैं। शायद इसीलिए वर्धा के सरकारी ब्लॉगर सम्मेलन का आमंत्रण हमारे तक नहीं पहुंच पाया।
वहां ब्लॉगिंग तकनीक के जाने-माने हिन्दी ब्लॉगर Ratan Singh Shekhawat ने कहा… हमें पता ही अब आपकी इस पोस्ट से चला कि वर्धा में कोई सरकारी ब्लॉगर सम्मेलन आयोजित हो रहा है रेवड़ी अपनों को ही बांटी जाती है :)
वयोवृद्ध ब्लॉगर Mrs. Asha Joglekar ने कहा… सरकारी सम्मेलन है ना फिर किस बात का गिला है । सरकार का तो ये पुराना सिलसिला है।
ब्लॉग तकनीक की बारीकियाँ जानने वाले और साहित्य लेखक संजीव तिवारी .. Sanjeeva Tiwari जिन्होंने सैकड़ों ब्लॉगरों को प्रोत्साहन, सहायता व दिशानिर्देश दिया है, ने कहा… हमने तो आयोजक महोदय के ब्लॉग पर एवं फेसबुक में टिपियाये भी इसीलिये थे कि इस पहल से हमें भी 'विशिष्ठ ब्लॉगरों' की सूची में स्थान मिलेगा ... पर 15000 नामी गिरामी हिन्दी ब्लॉगरों में हमारी कौन पूछपरख, (वैसे भी हम सिर्फ क्षेत्रीय रंग प्रस्तुत करते हैं)सोंचकर हम चुप हो गए थे, जो सत्य भी है। ललित शर्मा के लिये उनका संदेश था कि वर्तमान परिस्थितियों में आप निर्विवाद रूप से हिन्दी ब्लॉगिंग में लगातार सक्रिय हैं और हरदिल अजीज हैं इस कार्यक्रम में आपको आमंत्रित नहीं किया जाना दुखद है।
ब्लॉगवाणी के संचालकों से घनिष्ठ संबंध रखने वाले की सासु मां निर्मला कपिला ने कहा… ऐसे लोगों को हमने ही तो ये अवसर दिया है। चलो उनको बजाने दीजिये अपने गाल खुद।
चिट्ठाचर्चा ब्लॉग में के एक सहभागी Ashish Shrivastava ने जब सफ़ाई देने की कोशिश की 'इसमे किसी को निमन्त्रण नही दिया गया था नामांकन आमन्त्रित किए गए थे' तो ललित शर्मा ने कहा…सभी को मेल भेजे गए हैं। इसका सबुत मेरे पास है। और ये आयोजक बताएंगे कि उन्होने किसे मेल भेजा है और किसे नहीं।
dhiru singh {धीरू सिंह} ने कहा…ऎसा एक हादसा इलाहबाद मे भी हुआ था करीब साल भर पहले सिर्फ़ कुछ स्वनाम धन्य ही आमन्त्रित थे।
अम्माजी ने तो झड़ी ही लगा दी वहाँ।
9 अक्टूबर को ही http://hindi-vishwa.blogspot.com/2010/10/blog-post_09.html पर बताया गया 'उदघाटन वक्तव्य देते हुए कुलपति श्री विभूतिनारायण राय जी ने कहा कि ...ब्लॉगिंग जगत में राज्य और राष्ट्र नियंत्रण से अधिक व्यक्गित आचार संहिता लागू होती है।' अब इसे क्या कहा जाये कि अनूप शुक्ल ने अध्यक्षीय व्यक्तत्व के विरूद्ध कह डाला कि ब्लॉगिंग की आचार संहिता की बात खामख्याली है। और इस बात को साबित करने के लिये वे हमेशा की तरह अपने व्यक्तिगत ब्लॉग की बजाये, ब्लॉग पर चर्चायों के लिये बने एक सामूहिक ब्लॉग का सहारा ले अपनी रिपोर्टनुमा बातें डालते रहे। वैसे भी ब्लॉगिंग में सर्वाधिक ऊधम मचाने वाला आचार संहिता से सहमत कैसे हो सकता है।
ललित शर्मा की 10 अक्टूबर वाली पोस्ट में एक ईमेल का चित्र दिया गया है जिसमें दिखता है कि 27 जुलाई को वह ईमेल सिद्धार्थ सहकर त्रिपाठी की व्यक्तिगत ईमेल से भेजा गया है व उत्तर भी उसी पर देने की बात की गयी है जबकि हिंदी विश्वविद्यालय का उसमें कोई सम्पर्क पता नहीं। मतलब कार्यक्रम सरकारी और सुचनायें मंगाये एक व्यक्ति! कोई समिति कोई समूह नहीं?
वहाँ 'उदय' ने कहा…खेदजनक है कि सब गुप-चुप ढंग से चल रहा है ... सार्वजनिक तौर पर प्रचार-प्रसार होता तो बहुत ही खुशी होती ... निर्मला कपिला ने कहा…ब्लाग जगत को शुरूआत मे ही गुटबाजी ने अपने कब्जे मे ले लिया है। कुछ लोग शायद अपने प्रचार प्रसार के लिये ही ऐसा कर रहे हैं। हमे तो कोई मेल नही मिली। हिन्दी ब्लॉगिंग में सक्रिय 5 वर्ष बिता चुके महेन्द्र मिश्र ने कहा…यह मीट सरकारी खर्च पर एक प्रान्त विशेष केलोगों के लिए आयोजित की गई है और यह राष्ट्रिय या अन्तराष्ट्रीय मीट कतई नहीं कहीं जा सकती है ..... इसकी सार्वजनिक सूचना नहीं दी गई.
बात सही भी है एक सरकारी शैक्ष्णिक कार्यक्रम की घोषणा न तो किसी समाचार पत्र में की गयी न ही किसी ऐसे ब्लॉगरों द्वारा प्रचारित प्रसारित किया गया जिनके ब्लॉग लोकप्रिय हैं। एक अन्जान से ब्लॉग के अलावा कहिं चर्चा नहीं दिखी इस कार्यक्रम की।
honesty project democracy ने कहा… आमंत्रण सबके लिए था। पहल ब्लॉगर को करनी थी। लेकिन वह भी नहीं बता पाये कि ईमेल कुछ खास लोगों को क्यों भेजी गई और कुछ को क्यों नहीं भेजी गई। छत्तीसगढ़ के ब्लॉगर सम्मेलन में विभीषण की उपमा पा चुके Sanjeet Tripathi ने कहा…आप ईमेल पर आमंत्रण का इन्तेजार करते बैठे रहे क्या? महेश भैया ने सीट बुक करवा ली अपनी और मेरी ट्रेन की , फिर अपन ने वहां सूचना दे दी, बस सारा खेला हो गया फिर तो... लेकिन बेचारे इतना नहीं बता पाये कि उन्हें ईमेल मिली थी कि नहीं। अम्मा जी ने यहाँ भी कई प्रश्न खड़े किये और फार्मूला बताए कई चुटकियाँ भी लीं
क्रमश:
जारी है पोस्तमार्टम
अगला मामला कुछ घंटों में
सभी ब्लॉगरों के नाम के आगे पीछे श्री/ सुश्री व जी लगा हुआ समझा जाये।