20 December, 2008

ज्ञानदत्त जी की पत्नी पिटाई पोस्ट और महिला ब्लॉगर्स के बहाने

एक व्यवसायिक यात्रा से अभी-अभी लौटा हूँ और अपनी एक मासूम शरारत भरी टिप्पणी पर अनेकों को अपनी दाढ़ी में तिनका ढ़ूढ़ते हुए देख मुस्कुराने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा हूँ। ज्ञानदत्त जी ने तो एक पोस्ट ही बना डाली है, जैसा कि वे लिखते हैं कि जोड़-तोड़ कर पोस्ट बनाई जाती है!

लौटते समय सोच रहा था कि आप लोगों से एक मुद्दे पर अपील करूँगा। सो कर रहा हूँ कि महिला आयोग द्वारा  महिलाओं के लिए कृषि क्षेत्र में राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है, जिसके लिये kusummishra@nic.in पर सुझाव मांगे गये हैं। आप से, खास तौर पर महिला ब्लॉगर्स से,महिला समर्थकों से, अपील है सुझाव अवश्य दें। इस पर मुद्दे पर आपकी टिप्पणी भी मायने रखती है।

ज्ञानदत्त जी की नयी-पुरानी पोस्ट के बारे में फुर्सत पाते ही कुछ लिखने की कोशिश करूँगा।

3 comments:

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

क़ृषि क्षेत्र मेँ महिलाओँ का योगदान सदीयोँ से रहा है चूँकि स्त्री व पुरुष समाज की बैलगाडी के २ पहिये हैँ और रही बात पत्नी पिटाई या पति पिटाई की उसका सख्त विरोध यहाँ भी दर्ज किया जाये जिस तरह, ज्ञान भाई साहब के ब्लोग पर (मानसिक हलचल) भी मैँने किया है
- लावण्या

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

और एक बात , आगे इस नीति से क्या दूरगामी परिणाम निकलते हैँ उसके बारे मेँ भी जानने की उत्सुकता रहेगी --

विवेक सिंह said...

इतना लल्लू तो कोई है नहीं कि सामने आकर पत्नी की पिटाई या खुद की पिटाई स्वीकार कर ले :)