आखिरकार उस ब्लॉग को बंद होना ही पड़ा जो एक गंभीर संवैधानिक अपराध कर रहा था, जिससे लगभग हर जागरूक ब्लॉगर त्रस्त नज़र आता था। अभी यह जानकारी नहीं मिल पायी है कि इस ब्लॉग को गूगल ने बंद कर दिया या सरकारी कार्यवाही हुयी या फिर गूगल की चेतावनी के बाद स्वयं
ब्लॉगर ने ही अपना ब्लॉग ध्वस्त कर दिया। बंद होने के पहले यह ब्लॉग
ऐसा दिखता था। ये वही ब्लॉगर हैं जिन्होंने कुछ अरसा पहले राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को अपने ब्लॉग में सबसे नीचे रखने की हेठी दिखा कर एक और संवैधानिक अपराध किया था, जबकि यह अपने आप को उच्च शिक्षा प्राप्त बताते हैं। देखिये
लिंक 1 लिंक 2अनुनाद सिंह जी के अलावा अधिकतर ब्लॉगरों ने इस तरह की चेष्टा के प्रति अपना
विरोध जताया था। उन सभी को धन्यवाद व बधाई, एक संवैधानिक अपराध के विरोध का साथ देने के लिए।
इस मामूली सी सफलता से अब इस दिशा की ओर सोचा जा रहा है कि टिप्पणी के रूप में अपने ब्लॉग पर आने का निमंत्रण देने वाले ब्लॉगरों के खिलाफ भी गूगल में शिकायत की जानी शुरू की जाये। भले ही वह निमंत्रण मेरे ब्लॉग पर आये या किसी और के, है तो यह सरासर मानकों के खिलाफ!
वैसे जो इस किस्से की पृष्ठभूमि नहीं जानते वे
पिछली पोस्ट पढ़ सकते हैं।
आप क्या सोचते हैं?
3 comments:
जी, यह मेरे सँज्ञान में पहले से है, जितना कुछ भी इनके विषय में एकत्रित कर पाया तो लग रहा है, कि महाशय जी दया के पात्र हैं ।
इनके वर्डप्रेस पर इनकी शायरी ग़ज़लों के स्रोत भी शनैः शनैः मिल ही रहे हैं । देखिये, क्या होता है । खेद है, कि सभी को तकनीक का ज्ञान देने वाले को तकनीक की क्षमताओं का ही ज्ञान नहीं है । कुल मिला कर श्रीमन दया के पात्र हैं ।
सत्य और सिद्धाँतों की जीत एक दीगर मुद्दा है ! धन्यवाद !
अब ये कैसे पता चलेगा कि ब्लाग गूगल ने बंद करवाया है या सरकार ने ??
आओ इसका पता लगाएं
Post a Comment