30 April, 2009

अविनाश वाचस्पति ब्लॉगरों को क्यों भरमा रहे?


शायद यह इत्तेफाक ही होता है कि अपने व्यवसाय से कुछ पल निकाल कर जब भी ब्लॉग की दुनिया में विचरण करने आता हूँ तो कुछ ना कुछ ऐसा दिख जाता है कि मन उद्देलित हो जाता है। अब मैं अच्छा खासा आनंद ले रहा था तरह तरह के ब्लॉग लेखन का कि निगाह पड़ गयी एक ब्लॉग पर, जिसका शीर्षक था कि '… इंटरनेट से मत दीजिये' मैंने सोचा शायद ये किसी चीज की मनाही कर रहे होंगे। पढ़ना शुरू किया तो लगा कि कुछ हास्य व्यंग्य होगा। हैरानी तो मुझे तब हुई जब लिखा देखा कि 

हम चर्चा कर रहे हैं ...तकनालॉजी के वरदानीय स्वरूप की जिसका लुत्फ आप इन चुनावों में ले पाएंगे। यह लिंक है चुनाव कमीशन की साइट का। ...बेघर हुए बिना ...घर से भी न निकलें ...इस लिंक को खोलें और अपने वोटर कार्ड के नंबर को तैयार रखें। लिंक में जाकर उपयुक्त स्थल को तलाशें फिर पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करें। अब आप तैयार हो जाएं आने वाले चुनाव में अपना मत इंटरनेट के जरिए देने के लिए। ...जैसे आप अपना बैंक खाता ऑपरेट करते हैं। क्रेडिट खाते से खरीद करते हैं। इंटरनेट से अपना मत डालने के लिए आपको अपने क्रेडिट कार्ड अथवा नेटबैंकिंग सुविधा से मात्र रुपये 11/- (ग्यारह) केवल का भुगतान करना होगा। ...जो चाहते हैं घर में ही रहना और अपना मत देना। वे इस लिंक पर क्लिक करें, पंजीकरण करें, भुगतान करें और बेघर हुए बिना अपना मत अपने पसंद के प्रत्याशी को दें।
मैंने कोशिश की इस बात की, कि इसमें भी कोई अप्रैल फूल या कोई मूर्ख दिवस या ऐसा ही कोई नया नवेला दिन हो। ब्लॉगर अविनाश वाचस्पति का प्रोफाईल देखा तो पाया कि ज़नाब भारत सरकार के सूचना-प्रसारण मंत्रालय में हैं। फिर पलट कर आये,  बहुत खोजा कि कहीं लिखा हुया मिल जाये कि यह पोस्ट  हास्य-व्यंग्य की श्रेणी की है। पर असफलता हाथ लगी। अलबता यह ज़रूर दिखा कि

इस सुविधा के प्रयोग आप अपने जोखिम पर करें क्योंकि पहली बार मिलने वाली इस सुविधा से आप वोट जिस प्रत्याशी को डालेंगे। हो सकता है उसे इंटरनेट पर सक्रिय कोई और प्रत्याशी हैक कर के अपने नाम में संजो ले। इसलिए इस सुविधा का प्रचार प्रसार नहीं किया गया है यह सुविधा सिर्फ ब्लॉगरों के समय की महत्ता को ध्यान में रखकर गुप्त तौर पर दी गई है। जिससे वे अपने बचे हुए समय का उपयोग पोस्टें पढ़ने, लिखने और पसंद चटकाने में कर सकें। यदि आप यह जोखिम लेने को तैयार हैं तो जुट जाएं अभी से ......... और अपने अपने अनुभव टिप्पणियों में बतलायें।
मैंने सोचा कि टिप्पणियों में क्यों बताऊँ। बताऊंगा तो अपनी पोस्ट में कि जिस वेबसाईट की वो बात कर रहें हैं वह एक ब्यक्तिगत वेबसाईट है जिसका चुनाव आयोग से कोई लेना देना नहीं है। जैसा कि वेबसाईट के मालिक कहते हैं

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एक व्यक्तिगत वेबसाईट आपसे आपका वोटर आई डी कार्ड का नम्बर ले लेगी, क्रेडिट कार्ड नम्बर ले लेगी, आपकी ईमेल आईडी वगैरह लेगी। फिर जब इसका दुरूपयोग होगा तो आप इसकी जिम्मेदारी किस पर डालएंगे? अब बताईये, एक जिम्मेदार सरकारी पद पर रहने वाला भारत सरकार का कर्मचारी अपने साथियों को असमय  भरमा नहीं रहा। क्या चुनाव आयोग की निगाह नहीं पड़ी अभी तक इस पर? 

7 comments:

पी के शर्मा said...

गणित पढ़ो और आगे बढ़ो

तीस में उनतालिस घटा कर देखिये
पता चल जायेगा....

ये सब चुहलबाजी है।
अन्‍यथा न लें।

अविनाश वाचस्पति said...

एम ज्ञान जी

आज अप्रैल माह का अंतिम दिन है

जीवन जीना बहुत कठिन है

आपने जब मेरा प्रोफाइल पढ़ा

तो यह भी अवश्‍य जाना होगा

व्‍यंग्‍य लिखता हूं रचता हूं मैं

एक अप्रैल को जिसकी
की थी ओपनिंग

आज है उसकी क्‍लोजिंग

कम्‍प्‍यूटर भाषा में

जहां से ओपनिंग कमांड दी जाती है

वहीं से क्‍लोजिंग की जाती है
आपने सबसे अंत में दिए गए

इंटरनेट लिंक को नहीं खोला

नहीं तो न होता इतना बड़ा लोचा

आप खुद ही सब जान जाते

और यह व्‍यंग्‍य ही है

यह भी मान जाते

मैं मूरख ही रहा

व्‍यंग्‍य है यह

जतला नहीं पाया

पर इसमें संभावना है देखिए

इस बार नहीं तो इससे अगली बार

अवश्‍य ही इससे प्रेरणा पाकर

इंटरनेट पर मत देते की
अवश्‍य होगी शुरूआत

चंदन जी ने सही कहा है

हंसते हंसते चेहरे से

तीस में से उनतालिस घटाकर देखिए

मैं तो सिर्फ यही कहूंगा
आप जमा भी करके देख सकते हैं

गणित की पूरी लूट है
लू
जो मत नहीं डालना चाहते

उसे इंटरनेट से मत डालने की पूरी छूट है।

आरडीएक्स said...

एम ज्ञान जी, हमें इंतजार है.....जबाव दीजिये.
आपने भी अविनाश जी की तरह 'बनाया' है या खुद 'बन' गए?

अविनाश वाचस्पति said...

http://avinashvachaspati.blogspot.com/ आपके ब्‍लॉग का लिंक यहां पर दे दिया गया है। पुन: पधारें।

Mansoor ali Hashmi said...

मज़ेदार पोस्ट पर रोचक टिप्पणी! टिप्पणी पर अत्यंत रोचक टिप्पणी!!, भाई, हमारा अप्रेल तो फ़ुल [पूरा] हो गया। अब मई दिवस में चले मज़दूरी
करने?
मन्सूर अली हाश्मी

अजय कुमार झा said...

lijiye ab ee bhee batana padega ki vyangya tha ,are mharaaj ee votwa ke lie kahe itnaa pareshaan hue kauno netwaa ko keh dete sab ho jaataa, avinaash bhai ta ee mein maahir hain bhaiyaa aaur ham log ko to aadat ho gaya hai jee...

तन्‍वी said...

इस पोस्‍ट को ध्‍यान में रखते हुए ज्ञान जी को चुनाव आयोग का सर्वेसर्वा बनाया गया। अप्रैल के किसी दिन के किसी समाचार पत्र में यह समाचार प्रकाशित हुआ था। बधाई ज्ञान भाई।