इस
ब्लॉग को पिछले कई दिनों से देख रहा हूँ। हालांकि इस पर पहुँचा था मैं गूगल से। सर्च कर रहा था "
अमेरिकी इतिहास" तो 4 लाख सर्च परिणामों में यह सातवें नम्बर पर दिखा। आज शायद
पांचवें नम्बर पर है। एक सीधा सादा सा जानकारी परक ब्लॉग अमेरिका की अंदरूनी पोल, खबरों के बहाने खोलता है।
इसकी भूमिका में ब्लॉग स्वामी का कहना है कि हमारे देश भारत के नागरिक अपने देश की बुराईयों, अपराधों, गरीबी, अश्लीलता, गैर-कानूनी कार्यों, घूसखोरी, भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी की जी भर भर्त्सना करते हैं और तुलना के लिये तथाकथित विकसित देशों के उदाहरण देते हैं। … न्यूयॉर्क के फुटपाथों पर हजारों लोग, भूखे पेट सोते है … अमेरिका ने अपने नागरिकों को मुम्बई के मैन-होल से बचने की सलाह जारी की, जबकि स्वयं अमेरिका में भीषणतम बाढ़ आयी थी … हाहाकार मचा हुया था।
आश्चर्य मुझे तब हुया जब मैंने इसे ब्लॉगवाणी पर नहीं पाया। मैंने सोचा कि शायद इसे वहाँ रजिस्टर्ड नहीं किया गया होगा। लेकिन पिछले दिनों वकीलों से पंगा न लेने जैसी टिप्पणियाँ उछलीं तो कतिपय व्यक्तियों से हुये ई-मेल संवाद में यह सामने आया कि
इस ये कहाँ आ गये हम ब्लॉग को ब्लॉगवाणी जान-बूझ कर शामिल नहीं कर रहा। कारण बताया जा रहा कि इस तरह के ब्लॉग को शामिल न करने की नीति है। मुझे हैरानी हुई। क्योंकि एक सामान्य से ब्लॉग के लिए पहले कभी ऐसा न देखा न सुना।
बात आई गई हो गई थी किन्तु कल जब
ब्लॉगवाणी पर खुलेआम माँ-बहन की गालियों से सुसज्जित वीडियो वाली एक पोस्ट को धड़ल्ले से आसन जमाये देखा तो मुझे फिर सोचना पड़ा कि आखिर यह तानाशाही क्यों? आखिर ऐसा क्या है
इस ब्लॉग में जिसे ब्लॉगवाणी ने अपनाने से इंकार कर दिया? क्या ऐसी तानाशाही एक ब्लॉग एग्रीगेटर की होनी चाहिए? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ढ़ोल खोखला है?
ब्लॉगवाणी के इतिहास को ध्यान में देखा जाये तो यह संभावना है कि इस पोस्ट या ब्लॉग को ब्लॉगवाणी से हटा दिया जाये। इसलिए इसके वहाँ होने का स्नैपशॉट लेने की तैयारी कर चुका हूँ, बांटने की भी।
क्या ब्लॉगवाणी इस मुद्दे पर कुछ कहेगा!?