24 July, 2009

क्या यह लाश कुछ कहाना चाहती है?

बहुचर्चित प्रोफेसर सभरवाल मर्डर केस में नागपुर कोर्ट ने आरोपियों को यह कहते हुए छोड़ दिया था कि कोर्ट के सामने कोई सबूत नहीं पेश किया गया और न कोई गवाह ही सामने आया, इसलिए आरोपियों को बरी किया जा रहा है।

एक ताज़ा घटनाक्रम में प्रो. सभरवाल के बेटे हिमांशु के दोस्त परमिंदर की लाश डीयू कैम्पस में मिली है। परमिंदर पेशे से एकाउंटेंट थे और प्रो. सभरवाल मर्डर केस में आए नागपुर कोर्ट के फैसले खिलाफ एक रैली के आयोजन में लगे थे। परमिंदर रैली के लिए पोस्टर चिपकाने गए हुए थे और आज, शुक्रवार की सुबह परमिंदर की लाश डीयू कैम्पस में मिली।

समाचार यहाँ मौजूद है

क्या आप कुछ कहना नहीं चाहेंगे?

16 July, 2009

दीपक भारतदीप 8वीं वरीयता/ रैंकिंग के मामले में झूठ क्यों बोल रहे?

कई दिन से देख रहा था कि दीपक भारतीय लिख रहे हैं कि उनके ब्लॉग के साईड बार में जो एलेक्सा का प्रमाणपत्र लगा है उसे कहीं से कोई चुनौती नहीं मिली यह दुनियां की आठवीं वरीयता प्राप्त ब्लाग/पत्रिका है इस पर अब बहस की गुंजायश नहींआदि आदि।


नीचे चार चित्र दिये गये हैं। पहला चिट्ठाचर्चा ब्लॉग का है, दूसरा मेरे ब्लॉग का है, तीसरा निशांत के ब्लॉग का और चौथा दीपक भारतदीप के ब्लॉग का है। चारों में URL, Traffic Rank, Average time on blog आदि देखें और बतायें कौन कितने पानी में है।

चित्रों को क्लिक कर बड़ा किया जा सकता है।

चिट्ठाचर्चा के बारे में


मेरे ब्लॉग के बारे में



निशांत के हिंदीज़ेन ब्लॉग के बारे में


दीपक भारतदीप के ब्लॉग की हालत

यदि वे खुद नहीं मानते तो यह क्यों कह रहे कि अब इसमें बहस की गुंजायश नहीं? अलेक्सा की बात करते हैं वरीयता बताते हैं तो अलेक्सा की लिंक का उल्लेख करें यूआरएलट्रेन्ड्ज़ की लिंक को क्यों उद्धृत करते हैं? उन्हीं के ब्लॉग पर अलेक्सा का हो विजेट लगाया गया है उस पर क्लिक किये जाने पर भी यहां का आखिरी चित्र दिखाई देता है।

ये सभी चित्र http://www.alexa.com/siteinfo/ पर संबंधित ब्लॉग की लिंक डाल कर लिए गये हैं। आप भी अपने ब्लॉग की लिंक डाल कर देख सकते हैं कि दीपक भारतदीप कितना सच बोल रहे हैं।

11 July, 2009

संजय बेंगानी जी! गर्व से कहना और नाज़ करना अलग अलग चीजें हैं

छत्तीसगढ़ वासी हूँ इसलिए बात जरा लग गई है। संजय बेंगानी जी ने पता नहीं किस मूड में रवि रतलामी जी के रायपुर प्रवास पर लिखी गई एक पोस्ट पर लिख मारा है कि 'आप कहते हो नाज है तो होगा, वैसे जब अखबारों में महान चिट्ठों के बारे में लिखते हैं हमें रवि रतलामी का चिट्ठा कहीं नहीं दिखता. आप समझ रहें हैं मेरी बात?'

अब हम ठहरे मूरख। हमने भागदौड़ करने की बजाय गूगल पर ही सर्च मारा। नतीजा क्या आया देखिए:

raviratlami के लिए लगभग 359,000
sanjay bengani के लिए लगभग 70,400

रवि रतलामी के लिए लगभग 80,200
संजय बेंगानी के लिए लगभग 1,700

रवि रतलामी के ब्लॉग छींटें और बौछारें के लिए लगभग 176,000
संजय बेंगानी के ब्लॉग जोगलिखी के लिए लगभग 126,000

और
रवि के लिए लगभग 10,700,000
संजय के लिए लगभग 737,000

वैसे भी R, S के पहले आता है। समझ गये ना बात को?

अब भी कोई कसर बाकी है तो अपने प्रदेश के बाहर के समाचार पत्रों में अपने ब्लॉग का उल्लेख करने वाली कतरनें सामने लाईये। छत्तीसगढ़ से बाहर के समाचार पत्रों में रवि जी के ब्लॉग का उल्लेख करने वाली कतरनें हम ला देंगें।

गर्व से कहना और नाज़ करना अलग अलग है श्रीमान

08 July, 2009

एक ऐसा ब्लॉग जिसे ब्लॉगवाणी ने अपनाने से इंकार कर दिया

इस ब्लॉग को पिछले कई दिनों से देख रहा हूँ। हालांकि इस पर पहुँचा था मैं गूगल से। सर्च कर रहा था "अमेरिकी इतिहास" तो 4 लाख सर्च परिणामों में यह सातवें नम्बर पर दिखा। आज शायद पांचवें नम्बर पर है। एक सीधा सादा सा जानकारी परक ब्लॉग अमेरिका की अंदरूनी पोल, खबरों के बहाने खोलता है।

इसकी भूमिका में ब्लॉग स्वामी का कहना है कि हमारे देश भारत के नागरिक अपने देश की बुराईयों, अपराधों, गरीबी, अश्लीलता, गैर-कानूनी कार्यों, घूसखोरी, भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी की जी भर भर्त्सना करते हैं और तुलना के लिये तथाकथित विकसित देशों के उदाहरण देते हैं। … न्यूयॉर्क के फुटपाथों पर हजारों लोग, भूखे पेट सोते है … अमेरिका ने अपने नागरिकों को मुम्बई के मैन-होल से बचने की सलाह जारी की, जबकि स्वयं अमेरिका में भीषणतम बाढ़ आयी थी … हाहाकार मचा हुया था।

आश्चर्य मुझे तब हुया जब मैंने इसे ब्लॉगवाणी पर नहीं पाया। मैंने सोचा कि शायद इसे वहाँ रजिस्टर्ड नहीं किया गया होगा। लेकिन पिछले दिनों वकीलों से पंगा न लेने जैसी टिप्पणियाँ उछलीं तो कतिपय व्यक्तियों से हुये ई-मेल संवाद में यह सामने आया कि इस ये कहाँ आ गये हम ब्लॉग को ब्लॉगवाणी जान-बूझ कर शामिल नहीं कर रहा। कारण बताया जा रहा कि इस तरह के ब्लॉग को शामिल न करने की नीति है। मुझे हैरानी हुई। क्योंकि एक सामान्य से ब्लॉग के लिए पहले कभी ऐसा न देखा न सुना।

बात आई गई हो गई थी किन्तु कल जब ब्लॉगवाणी पर खुलेआम माँ-बहन की गालियों से सुसज्जित वीडियो वाली एक पोस्ट को धड़ल्ले से आसन जमाये देखा तो मुझे फिर सोचना पड़ा कि आखिर यह तानाशाही क्यों? आखिर ऐसा क्या है इस ब्लॉग में जिसे ब्लॉगवाणी ने अपनाने से इंकार कर दिया? क्या ऐसी तानाशाही एक ब्लॉग एग्रीगेटर की होनी चाहिए? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ढ़ोल खोखला है?

ब्लॉगवाणी के इतिहास को ध्यान में देखा जाये तो यह संभावना है कि इस पोस्ट या ब्लॉग को ब्लॉगवाणी से हटा दिया जाये। इसलिए इसके वहाँ होने का स्नैपशॉट लेने की तैयारी कर चुका हूँ, बांटने की भी।

क्या ब्लॉगवाणी इस मुद्दे पर कुछ कहेगा!?

07 July, 2009

आईये आईये माँ बहन की गालियाँ सुनिए, खुलेआम: सौजन्य ब्लॉगवाणी

क्या ब्लॉग एग्रीगेटर पर कुछ भी उपलब्ध हो सकता है।

अभी अभी मैं पहुँचा ब्लॉगवाणी के सौजन्य से महाशक्ति के ब्लॉग पर्।

जो देखा सुना। आप भी देखिए।

धयान रहे इसकी आवाज़ कोई और ना सुन बैठे वरना आपकी माँ-बहन भी …

देखिए उस ब्लॉग को

धन्य हो महाशक्ति।