21 October, 2010

वर्धा ब्लॉगर गोष्ठी एवं कार्यशाला का पोस्टमार्टम -4

इस बार बात की जाये मुम्बई की अनीता कुमार की लिखी दो पोस्तों की। उन्होने साफ लिख दिया कि



इससे पता चलता है कि आमंत्रण निमंत्रण भेजा गया था,जिसे सभी सज्जन झूठा बताते हुये कह रहे हैं कि ये तो ओपन सम्मेलन था। किसी को बुलाया नहीं गया था।


लेकिन यह बात कौन बतायेगा कि जब वर्धा का विश्वविद्यालय कहता है कि



और




तो अनीता कुमार को किस कैटिगरी में माना जाये। कभी ऐसा लगा ही नही कि उन्हे ब्लाग तकनीक की ABC मालूम है। लेकिन जब वह लिख्ती हैं कि आचार संहिता पर विचार विमर्श करने के लिए  पेपर्स बना कर ले गये थे। बलोग एथिक्स पर हुई मनोवैज्ञानिक शोध पर भी एक पेपर तैयार कर के ले गये थे। तो यह उम्मीद की जाती है कि विश्वविद्यालय,उन्हें भुगतान किये गये धन को उचित ठहराते हुये आम जनता के लिये उन पेपर्स का प्रकाशन अपनी वेबसाईट पर करे।

क्या यह गलत होगा? उनके पेपर ही क्यो बाकी सभी पेपर भी होने चाहिये विश्वविद्यालय की वेबसाईट पर। इन्हे छिपा कर रखने का क्या मतलब। आखिर पता तो चले कि सरकारी धन केवल ब्लागरो की मौज मे नही ल्गा

सभी ब्लॉगरों के नाम के आगे पीछे श्री/ सुश्री व जी लगा हुआ समझा जाये।

5 comments:

उम्मतें said...

आप बहुत दिन बाद आये ! आपकी विवेचन शक्ति गज़ब की है !

Arvind Mishra said...

मुझे लगता है अब तो प्रोसीडिंग छप के रहेगी !

1st choice said...

keep writing ..............

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

नाईस

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

नाईस